बाल दिवस पर
चलो बचपन की यादों को
खुदी से बांट लूं मैं आज
पलको में सजे ख्वाबो में बाबा
मैं भी हूं क्या आज
तुम्हें क्या याद है अब भी
मेरी पहली बनी रोटी
कड़क थी या मुलायम
प्यार की वो पहली चिकोटी
तरकारी में सब्जी कम
पानी में मसाला था
बड़े ही प्यार से पीकर
मुझे कितना बहलाया था
याद में अब भी मेरे है
मुहल्ले भर की वो यादें
छतो पर दौड़ते फिरते
कितनी चोटे हम खाते
कभी गुस्सा कभी तुम प्यार से
हमको मनाते थे
न जाने गुज़रे दिन क्यूं
आज मुझको याद आतें हैं