बाल कविता
मेरी पहली बाल कविता
*********”**********
बिटिया मेरी सोई।
सपने में है खोई।
सपने में है हाथी।
हाथी सबका साथी।
देखो भागा बन्दर।
फूलवारी के अंदर।
तोड़ रहा है केला।
मारो मारो ढेला।
लगा हुआ है मेला।
देख जलेबी ठेला।
मुँह से टपका पानी।
जीभ चलाती रानी।
कोयल गाती गाना।
मम्मी दे दो खाना।
फटा हुआ पाजामा।
पहन क आया मामा।
मामा गाएँ लोरी।
माखन दूध कटोरी।
खा लो मेरी मुनिया।
रसगुल्ला अरु बुनिया।
मच्छर ने है काटा।
बिटिया मारी चाटा।
खुद पर पड़ा तमाचा।
मार के भागा चाचा।
टूट गया सब सपना।
खोया है कुछ अपना।
बिटिया लगती रोने।
मैं चलता हूँ सोने।
(स्वरचित मौलिक)
#सन्तोष_कुमार_विश्वकर्मा_सूर्य’
तुर्कपट्टी, देवरिया, (उ.प्र.)
☎️7379598464