बाल कविता: लाल भारती माँ के हैं हम
लाल भारती माँ के हैं हम, सरहद के रखवाले हैं।
बुद्ध-राम की धरती अपनी, अमन चाहने वाले हैं।
सरहद पर जो खड़ा हिमालय, ऊँचा भाल हमारा है।
नींच शत्रु ने मलिन आँख से, इसको आज निहारा है।।
रिपु-दल को औकात बताने, सरहद पर हम जायेंगे।
अरि – मर्दन कर उसी लहू से, माथे तिलक लगायेंगे।
आन-बान से राष्ट्र-ध्वजा निज, सरहद पर फहराएंगे।
हिन्द देश के प्रहरी हम सब, इसकी लाज बचायेंगे।।
सिंह गर्जना करके अरि का, हिय तल भी थर्याएंगे।
नापाक इरादे वैरी के, पूर्ण न होने पाएंगे।
नृत्य करेगी युद्ध – भूमि में, वीर जवानों की टोली।
विश्व काँपता रह जायेगा, सुन इन्कलाब की बोली।।
अरि सिर गिरकर यही कहेंगे, पावन भूमि तुम्हारी है।
तेरी सरहद को छूकर की, हमने गलती भारी है।
सरहद की रक्षा की खातिर, माथे तिलक लगाना माँ
यदि लौट नहीं पाएं रण से, आँसू नहीं बहाना माँ।।
नाथ सोनांचली