बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
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बाल कविता: मुन्ने का खिलौना
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मुन्ने के नाना आये हैं,
एक खिलौना लाये हैं।
मुन्ना उससे खेलेगा,
मन उसका बहलेगा।
खिलौना गया टूट,
मुन्ना गया रूठ।
मुन्ने को मनाएंगे,
हलवा पूड़ी खाएंगे।
हलवा लगा मीठा,
मुन्ना चूसे अँगूठा।
घंटी लगी बजने,
मुन्ना लगा हसने।
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन