बाल कविता: नानी की बिल्ली
बाल कविता: नानी की बिल्ली
सुनो कहानी नानी आयी।
साथ मे एक (1) बिल्ली लायी।।
बिल्ली के दो (2) छोटे कान।
तोड़ा उसने फूलदान।।
फूलदान के टुकड़े तीन (3)।
गंदी हो गयी सारी जमीन।।
बिल्ली के थे पैर चार (4)।
नानी लायी आम का अचार।।
अचार के डिब्बे पांच (5) थे।
बने हुए वो कांच के।।
कूदकर बिल्ली बाहर आयी।
छः (6) छलाँग उसने लगायी।।
एक छलाँग सात (7) फिट की।
मम्मी के हाथ से मटकी झटकी।।
मटकी गयी टूट।
बिखर गया आठ (8) लीटर दूध।।
नौ (9) बाल्टी पानी डाला।
हमने घर सारा धो डाला।।
शाम को मेरे पापा आये।
दस (10) दर्जन वह केले लाये।।
जी भरके खाये केले।
रात भर बिल्ली से खेले।।
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन