बाल कविता: चूहे की शादी
बाल कविता: चूहे की शादी
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चंडीगढ़ से चली बारात
जयपुर पहुँची आधी रात।
दूल्हा चूहा दुल्हन चुहिया
बाजा बजाए मेंढक भैया।
नाचे भालू, गेंडा, हाथी
बंदर बिल्ली बने बाराती।
बजता ढोल गाते गाना,
सबने मिलकर खाया खाना।
जयमाला की बारी आयी
चुहिया सजकर प्यारी आयी।
उठा चूहा और सिर झुकाया,
फिर चुहिया ने वर अपनाया।
गिलहरी चाची ताली बजाए,
भेड़ का फूफा नोट उड़ाए।
खरगोश आया बड़ी सवेरे,
चूहा- चुहिया लेते फेरे।
बना चूहे का नया परिवार,
सजी खड़ी फूलों से कार।
चूहा-चुहिया देखे सपना,
स्वर्ग सा सुंदर घर हो अपना।
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन