बाल कविता :– गुड़िया है दंग !!
गुड़िया है दंग
सूरज किरन , चमके गगन ,
चले सनन-सनन, बहकी पवन ,
उडती पतंग !
गुड़िया है दंग !!
खीचे है डोर , मस्ती और शोर,
मन को हिलोर , हसे जोर-जोर,
अम्मा के संग !
गुड़िया है दंग !!
ले के आश , गई अम्मा के पास ,
इन्द्रधनुश , दमके आकाश ,
इन्द्रधनुश का प्यारा रंग !
गुड़िया है दंग !!
कोयल कूके , बाग बगीचे ,
अति प्रिय वाणी , नभ तल नीचे ,
नीलकण्ठ का प्यारा अंग !
गुड़िया है दंग !!
करता कल-कल , नदिया का जल,
होती हलचल , हरदम हरपल ,
उठती जल तरंग !
गुड़िया है दंग !!
बडी ठाठ-बाठ , है सोन घाट ,
देवी के द्वार , सजता है हाट ,
मन मे उमंग !
गुड़िया है दंग !!
सर्कस जादू , ठेलम ठेला ,
गुड्डे गुडियों से सजा है मेला ,
दुल्दुल घोडी और मलंग !
गुड़िया है दंग !!
गुलाबजामुन और मिठाई ,
पानीपुरी संग चाट खटाई ,
बर्फी पेठा और मलाई ,
खूब सजे लड्डू और लाई ,
लस्सी और भंग !
गुड़िया है दंग !!