बाल-कविता :
आओ चिड़िया रानी
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बड़े प्रेम से रखा हुआ है,
छत पर दाना-पानी।
उड़ती-उड़ती, चीं-चीं करती,
आओ चिड़िया रानी।
गोलू, जॉनी, रोज़ी, असलम,
सबने जोर लगाया।
कैसे लौटोगी तुम वापस,
द्वार-द्वार समझाया।
फिर सुननी है मनभावन सी,
तुम पर एक कहानी।
बड़े प्रेम से रखा हुआ है,
छत पर दाना-पानी।
घोर प्रदूषण करके पैदा,
बड़े-बड़े इतराते।
लेकिन हम बच्चों को सूने,
उपवन नहीं सुहाते।
हर आंगन तुम चहको ऐसी,
दुनिया हमें बनानी।
बड़े प्रेम से रखा हुआ है,
छत पर दाना पानी ।
उड़ती-उड़ती चीं-चीं करती,
आओ चिड़िया रानी।
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– राजीव ‘प्रखर’
मुरादाबाद (उ० प्र०)
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