बाल एवं हास्य कविता: मुर्गा टीवी लाया है।
बाल एवं हास्य कविता : मुर्गा टीवी लाया है।
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मुर्गा टीवी लाया है,
बिजली से चलाया है।
फिल्में आती अच्छी अच्छी,
केबिल भी लगवाया है।।
मुर्गा टीवी लाया है……….
मिलकर देखे सारे मित्र,
रंग बिरंगे आते चित्र।
पर्दा जब भी धुंधला होता,
एंटीना घुमाया है।।
मुर्गा टीवी लाया है……….
देसी विदेशी खबरें सुनते,
नए विचार मन में बुनते।
कैसे होगा अंडा मंहगा,
ये हिसाब लगाया है।।
मुर्गा टीवी लाया है……….
मुर्गी उसमें नाटक देखे,
बहू सास पर बेलन फेंके।
दौड़े दौड़े फिरती मुर्गी,
जल्दी काम निपटाया है।।
मुर्गा टीवी लाया है………
चूजे भी हैं मौज उड़ाते,
मोटू पतलू दिल बहलाते।
पढ़ना लिखना भूल गए,
टीवी मन को भाया है।।
मुर्गा टीवी लाया है……….
हाल देखकर मुर्गा रोया,
चैन सुकून उसने खोया।
कुकड़ूँ कूँ भी भूल गया है,
दिल उसका घबराया है।।
मुर्गा टीवी लाया है……….
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स्वरचित कविता 📝
✍️रचनाकार:
राजेश कुमार अर्जुन