बालगीत
चों-चों-चों-पों-पों-पों
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चरखा बोला
चों-चों-चों
उड़ा पपीहा
पों-पों-पों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
भागा-भागा
बगुला आया
मैनी को भी
पास बुलाया
बया उड़ी है
सों-सों–सों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
गदहा बोला
हेंको-हेंको
खरहा बोला
कुरसी फेंको
कौआ बोला
कों-कों-कों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
चूहा अपना
मारा पंजा
बिल्ली का सिर
पूरा गंजा
बंदर बोला
खों-खों-खों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
गीदड़ बोला
हूआँ-हूआँ
चिमनी से है
निकला धूआँ
मेंढक बोला
टों-टों-टों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
अधुर नेवला
दौड़ा आया
ताका-झाँका
पूँछ हिलाया
साँप फुँकारा
फों-फों-फों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
गौरैया ने
बीन बजाई
गूँज उठी पिक
की शहनाई
कुतिया बोली
भों-भों-भों
चों-चों-चों-पों-पों-पों
शिवानन्द सिंह ‘सहयोगी’
मेरठ