बालगीत :- चाँद के चर्चे
चर्चे हैं चाँद के, आजकल गली-गली।
बड़े तो बड़े, बच्चों में भी बात चली।।
मम्मी ने व्रत रखा हुआ है, चुन्नू-मुन्नू देखें,
चाँद बिना व्रत कैसे खोलें, दोनों बैठे सोचें।
बीती शाम रहे ठगे, चंदा की न छवि दिखी।
चर्चे हैं चाँद के आजकल गली-गली।
बड़े तो बड़े, बच्चों में भी बात चली।।
बच्चे छत पर जा, पल-पल मँडराये रहे,
दिखे न चंदामामा, अकड़ दिखलाये रहे।
मम्मी-पापा घबराये, रात भी ढलती सी लगी।
चर्चे हैं चाँद के, आजकल गली-गली।
बड़े तो बड़े, बच्चों में भी बात चली।।
छत पर चढ़, चुन्नू जा बैठा कोने को घेरे,
सिग्नल मिले, यही सोच मुन्नू लगा रहा फेरे।
खिले मुख ताली बजी, चाँद की झलक मिली।
चर्चे हैं चाँद के, आजकल गली-गली।
बड़े तो बड़े, बच्चों में भी बात चली।।
रचनाकार :- कंचन खन्ना,
मुरादाबाद, (उ०प्र०, भारत)।
सर्वाधिकार, सुरक्षित (रचनाकार)
दिनांक :- २६/१०/२०२१.