— बालक का प्रेम —
किसी मासूम के पापा को
जाना पड़ गया विदेश
लौट के कब आयेंगे
नही रहता कोई सन्देश !!
कब आना होगा , ये
मासूम भला क्या जाने
जब तक बडा होगा , न
जाने कितने बीतेगे जमाने !!
जब आयेंगे हाथ में
रख देंगे उस के कुछ पैसे
बच्चा पल भर को खूश होगा
फिर उनको जाना पड़ेगा कमाने !!
एक दिन जिद पर आया बच्चा
कहा पापा मत जाओ विदेश
देखो मेरे गुल्लक में कितने पैसे
क्यूं जाते हो आप अब कमाने !!
मजबूरी थी उस के पापा की
नहीं भरता था यहाँ इन पैसों से पेट
भला किस का दिल करेगा , यूं
मासूम को छोड़ चला जाए विदेश !!
न जाने कब के गए ,
कब लौट के आना भी हो पायेगा ,
कि नही आना होगा वापिस अपने देश
जीवन यूं ही निकल जाएगा , क्या
पता वो मासूम होगा फिर किस भेष !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ