बार -बार कहता दिल एक बात
बार -बार कहता दिल एक बात
सखी कौन डगर या कौन पनघट
कहां, कैसे हो ?लिखना एक पत्र …..
ले लेना एक शाम समय से कुछ पल
बार -बार कहता दिल एक बात
मिठास भरे पल को लिखना सखी
कटु शब्दों से ना परहेज मुझे सखी
लिखना कुछ अच्छे भाव सवाल
दे सकूँ मैं निःस्वार्थ जबाब सखी
बार -बार कहता दिल एक बात
लिखना एक बार ना .कई-कई बार
अपने ख्वाबों का जिक्र भी करना
साथ कटे भावो को व्यक्त भी करना
हमेशा की तरह तुम सही मैं गलत
बार -बार कहता दिल एक बात
लिखना एक बात और भी सखी
मेरा हाल ऐ ज़िक्र बात लिखना
स्वयं सुधा हो हम विषक्त सही
प्रेम अल्प हो अनंत हो शिकवा
बार -बार कहता दिल एक बात
नफरत बचाएं रखना यादों को
पर एक बात लिखना मत भूलना
हिचकी जब जब आती है तुम्हे
क्या याद आती हैं मुझे तब तब
बार -बार कहता दिल एक बात
एक सवाल के कई-कई जवाब
अभी तुम कहां हो ,कैसे हो ?
बस इतना ही है सवाल हमरा
बार बार कहता दिल एक बात..
लिखना एक पत्र उसमें छिपा
कई,- कई सवाल………..
लिखना सखी एक पत्र ……
गौतम साव