बारिश
आज बरसती बारिश में
कुछ पुरानी मुलाक़ातें मिली
ख़यालों में भीगी सी
फिर सोचा
पहले मिली होती इस क़दर
तो शायद ज़्यादा बाँट लेते
कुछ तेरे मन को
कुछ मेरे मन को
ये सैलाब इस तरह ना बहता आज
फिर देखो तो, हर तरफ़
पानी ही पानी है
कुछ तेरी आँख का
कुछ मेरी आँख का
बस इंतज़ार है
रुबरू होने का
@संदीप