बारिश….
गज़ल
ग़मों का बोझ बढ़ाने को आ गई बारिश ,
हमारी जान जलाने को आ गई बारिश ।
किसी की याद को हमनें भुला के रखा था,
उसी की याद दिलाने को आ गई बारिश ।
जमीं को जितने अजब ज़ख्म दे गया सूरज,
उन्हीं की टीस बढ़ाने को आ गई बारिश ।
किताबे दिल पे तेरा नाम था लिखा हमनें ,
उसी के हर्फ़ मिटाने को आ गई बारिश ।
अभी तो “आरसी” आँखों में थी नमी बाकी ,
दुबारा आँख भिगाने को आ गई बारिश ।
– आर० सी० शर्मा “आरसी”