बारिश
आज बारिश की बूंदे आई है।
मैं झूम झूम कर हवा के साथ नाच दिखाईं है।
कोयल को रहा नहीं गया।
वह भी मुझ पर बैठकर राग सुनाई है।
आज बारिश की बूंदे आई है।
तन मन में मानो फुर्ती सी जग आई है।
कलियां को देखो खिलने के लिए बेचैन हो आई है।
आज बारिश की बूंदे आई है।
मेरे तन में देखो निखार सी हो आई है।
हर पक्षी मेरे पास राग सुनाने आई है।
आज बारिश की बूंदे आई है।
जो टहनी सूखने को हो आई थी।
उसमें नई नई कोपल आई है।
आज बारिश की बूंदे आई है।
सुशील कुमार चौहान
फारबिसगंज अररिया बिहार