बारिश
निर्वात सांझ
दीदार बारिश का
काव्य_जन्म पे
….
मेरी रचना
खुब रंग रुप ले
बीच बारिश
….
भावुक होने
चले थे वे बादल
मेरी तरह
….
प्यासी रैना थी
गर्म ग्रीष्म कालीन
तृप्त हो गई
….
निर्वात सांझ
दीदार बारिश का
काव्य_जन्म पे
….
मेरी रचना
खुब रंग रुप ले
बीच बारिश
….
भावुक होने
चले थे वे बादल
मेरी तरह
….
प्यासी रैना थी
गर्म ग्रीष्म कालीन
तृप्त हो गई
….