*बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी*
बारिश सी बूंदों सी है प्रेम कहानी
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बारिश की बूंदों सी है प्रेम कहानी,
धरती सी प्यासी ढल गई जवानी।
नभ से टप टप बरसता रहा पानी,
आँखों से टपके आँसू ज्यों रवानी।
गरजा बादल बारिश का अंदेशा,
याद बहुत आई वो रात तूफानी।
शीतल हवा का गुजरता है झौंका,
दिल से लगाई उनकी दी निशानी।
तस्वीर तुम्हारी आँखों में समाई,
नशा चढ़ता जाए हो शराब पुरानी।
बरसात के साथ आंधी भी आई,
बिजली सी जैसे गरजती दिवानी।
विरह में हो बैठी राजा की रानी,
कुर्बत की मारी जवानी मस्तानी।
यादों की बरसातें मनसीरत लाई,
आग लगाए दो नीले नैन शैतानी।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)