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10 Sep 2022 · 1 min read

बारिश में

अनुभव सबका अलग-अलग, इस बार रहा है बारिश में।
जाने किसके दिल पर कैसा, असर हुआ है बारिश में।।

दिनकर की प्रचंड किरणों से, झुलस रही थी जो अब तक।
प्यासी-प्यासी तप्त धरा,अब तृप्त धरा है बारिश में।।

रात रातभर चाँद सितारे आँख मिचोली खेल रहे।
और सबेरे आग का गोला बुझा बुझा है बारिश में।।

ठंडी ठंडी चलीं हवाएं घुमड़ घुमड़ छाए बादल।
मैंने भी कुछ कवियों जैसा आज कहा है बारिश में।।

अभी अभी जो यौवन की दहलीज चढ़े वो कहते हैं।
इस जीवन के सर्वोत्तम क्षण का ही मजा है बारिश में।।

इक तो प्रेम का रोग लगा उस पर बरसे रिमझिम सावन।
भीगा भीगा बदन मगर मन सुलग उठा है बारिश में।।

कुछ लोगों को बारिश मतलब चीले और पकौड़े है।
लेकिन कुछ के घर में चूल्हा नहीं जला है बारिश में।।

शायद इसको ही कहते महनत पर पानी फिर जाना।
हे इंद्र अन्नदाता का सब कुछ दाँव लगा है बारिश में।।

ऊपर बैठे कलाकार की अद्भुत यार कलाकारी।
कैसे उसने इंद्रधनुष में रंग भरा है बारिश में।।

चतुर्मास में बंद हुआ उन साधु संतों का भटकाव।
जो भी योग साधना में तल्लीन हुआ है बारिश में।।

केवल लिखने से क्या होगा घर के बाहर तो झाँको।
ज्योति मदद की खातिर कोई तरस रहा है बारिश में।।

✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
1 Like · 212 Views
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