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8 Oct 2018 · 1 min read

बारिश में वो लड़की…..

घनघोर घटा सावन की थी, जब बूँद-बूँद था जल बरसा,
एक छाता लेकर बारिश में, मैं सड़कों पर था जा निकला,
बारिश से बचती सड़कों पर, एक लड़की थी भाग रही
एक वृक्ष से लिया सहारा, पानी को ललकार रही,
सहसा मेरी नज़र गयी, उसके ओजस्वी मुखड़े पर,
मानो जल की बूँद रखी हो, एक बादल के टुकड़े पर,
हांथों से अपने चहरे की, एक बूँद फिसलाती थी,
केशों की एक लट घुंघराली, नई बूँद दे जाती थी,
पास खड़े वाहन का शीशा, सहसा उसने जो देखा,
सौन्दर्य देस्ख हैरान हो गयी, अब तक जो था अनदेखा,
सोच रही थी, काजल और लाली नें मुख को छोड़ दिया,
फिर भी मुझको कुदरत ने, किस सुन्दरता से जोड़ दिया,
उसका भोला चेहरा देख, मैं अपनी सुध-बुध भूल गया,
डूब गया उन आँखों में, और छाता मुझसे छूट गया,
बारिश की बूंदों ने, धीरे-धीरे मुझको भिगा दिया,
उसने मेरा हाँथ खीचकर, पेड़ के नीचे बुला लिया,
हंसकर बोली मेरी आँखों में, ऐसे क्या देख रहे,
अपनी सुध-बुध भूल के ऐसे बारिश में क्यूँ भीग रहे,
मैंने अपने उत्तर में, एक सीधी सी बात कही,
तुम सुन्दर हो चाहे लाली बिंदिया मुख के साथ नहीं,
मूरत की भांति वो स्थिर होकर मुझको देख रही,
सोच रही थी मैंने कैसे, उसके मन की बात कही,
मैंने नज़र हटाकर देखा, सहसा बारिश बंद हुई,
मैं अपने घर को चला गया, वो मुझे ताकती चली गयी ||

Language: Hindi
729 Views
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