बारिश के शाम
भींजत होइहें
मैना हमार
जाने कवना
डाल पर
हंस लअ-हंस लअ
ऐ शिकारी
तू हमनी के
हाल पर….
हारल-थाकल
भूखल-प्यासल
ऊ चाल
तोहार ना
समझ पईहें
छींट दअ-छींट दअ
ख़ूब दाना
तू चारू ओर
जाल पर…
#Geetkar
Shekhar Chandra Mitra
(A Dream of Love)