बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
बारिश की बूंदें और मिडिल क्लास।
बारिश की बूंदें बरसी,
मौसम महका गई।
कहीं दूर बोली कोयल,
गुलशन चहका गई।
बरसी आज ऐसी बारिश की बूंदें…,
मन बहका गई।
प्रकृति की गर्मी से,
निजात मिली,
तपते मौसम को,
शीतल सौगात मिली।
जैसे चाँद के संग,
तारों की बारात चली।
मौसम में छाई,
शीतल हरियाली।
फूलों की चाल हुई,
मस्त मतवाली।
आसमां पे छाई,
बदली काली-काली।
बारिश की बूंदों में कहीं,
बिजली न चली जाए?
कहीं गैस सिलेंडर,
खत्म न हो जाए?
टीवी सीरियल कहीं,
आधा न रह जाए?
घूमने का मन करता पर,
टूटे रास्तों से डर लगता।
सब्जी,फल हुए और भी महंगे,बारिश का असर लगता।
बारिश की बूदें लगती सुहानी,पर कीचड़ और ट्रैफिक का कहर लगता
पर जो भी हो,
मौसम ये भाता है।
पकोड़े,समोसे हर कोई,
बहुत शौक से खाता है।
बारिश की बूंदें जब बरसती,दिल खिल जाता है।
प्रिया प्रिंसेस पवाँर
स्वरचित,मौलिक
सूरज विहार,द्वारका मोड़,नई दिल्ली-78