बारिश की बूँदें
जब बारिश की बूँदें
बादलों से होकर
कच्ची छतों को
भेदते हुए, कोठरी
जलमग्न करती
हैं, तो कितने मुँह
से निकली आँहों
के साथ पलकों के
रस्ते खारे पानी की
बूँदें स्वत: टपक
जाती हैं ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी
जब बारिश की बूँदें
बादलों से होकर
कच्ची छतों को
भेदते हुए, कोठरी
जलमग्न करती
हैं, तो कितने मुँह
से निकली आँहों
के साथ पलकों के
रस्ते खारे पानी की
बूँदें स्वत: टपक
जाती हैं ।
✍️ अरविन्द त्रिवेदी