Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 Jun 2021 · 1 min read

बारिश की बूंदों में तलाशती आँखें

जब भी बारिश होती है
मेरा मन भीग जाता है
जानते हो क्यों?
क्योंकि
तुम्हारे साथ बिताए वह पल
फिर से सजीव हो उठता है
बारिश की रिमझिम
फुहारों के संग
नजाने कितने वसंत
हमने साथ गुजारे थे
मुझे याद है……….
हर बारिश के बाद तुम
बालकनी में आकर बैठ जाते थे
और मैं तुम्हारे लिए
अदरक वाली चाय लेकर
आती थी
चाय की चुश्कियां लेते हुए
तुम कुछ रोमांटिक होकर
मुझसे
घंटों बतियाते रह्ते थे
और मैं तुम्हें
बस निहारती रहती थी
वक्त भी कितनी जल्दी
सरक जाता है न!
हमारे पौध भी अब
बड़े हो चुके हैं
सब अपनी दुनियां में मशरूफ है
लेकिन मैं
तुमसे बहुत नाराज हूँ
तुमने क्यों
अपना वादा नहीं निभाया
तुमने कहा था-
तुम्हारा साथ
मैं कभी नहीं छोडूंगा
फिर क्यों तुम
मुझसे मुंह मोड़ कर
चले गए
कभी न लौट न आने के लिए!
पर मैं आज भी
नजाने क्यों
इन बारिशो की बुंदों में
तुम्हें तलाशती रहती हूँ।

रीता सिंह “सर्जना ”
तेजपुर,असम।

©️®️
स्वरचित मौलिक@

Language: Hindi
3 Likes · 5 Comments · 263 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*****खुद का परिचय *****
*****खुद का परिचय *****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मां तौ मां हैं 💓
मां तौ मां हैं 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
📚पुस्तक📚
📚पुस्तक📚
Dr. Vaishali Verma
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
एक दिया बुझा करके तुम दूसरा दिया जला बेठे
कवि दीपक बवेजा
वक्त इतना बदल गया है क्युँ
वक्त इतना बदल गया है क्युँ
Shweta Soni
हाय अल्ला
हाय अल्ला
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चन्द्रमा
चन्द्रमा
Dinesh Kumar Gangwar
" मतलबी "
Dr. Kishan tandon kranti
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
ग़ज़ल _ सर को झुका के देख ।
Neelofar Khan
माँ : तेरी आंचल में.....!
माँ : तेरी आंचल में.....!
VEDANTA PATEL
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
चलो मनाएं नया साल... मगर किसलिए?
Rachana
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
कितनी गौर से देखा करती हैं ये आँखें तुम्हारी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
*बेफिक्री का दौर वह ,कहाँ पिता के बाद (कुंडलिया)*
*बेफिक्री का दौर वह ,कहाँ पिता के बाद (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
4241.💐 *पूर्णिका* 💐
4241.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
बड़ा ही सुकूँ देगा तुम्हें
ruby kumari
अज्ञानी ज्ञानी हुए,
अज्ञानी ज्ञानी हुए,
sushil sarna
I know
I know
Bindesh kumar jha
प्यार में ही तकरार होती हैं।
प्यार में ही तकरार होती हैं।
Neeraj Agarwal
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
#जब से भुले द्वार तुम्हारे
Radheshyam Khatik
क्या है
क्या है
Dr fauzia Naseem shad
भइया
भइया
गौरव बाबा
“जागू मिथिलावासी जागू”
“जागू मिथिलावासी जागू”
DrLakshman Jha Parimal
🙅🤦आसान नहीं होता
🙅🤦आसान नहीं होता
डॉ० रोहित कौशिक
भाग्य - कर्म
भाग्य - कर्म
Buddha Prakash
जज़्बात पिघलते रहे
जज़्बात पिघलते रहे
Surinder blackpen
🙅आज का मसला🙅
🙅आज का मसला🙅
*प्रणय*
बसंत
बसंत
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
कठिन काम करने का भय हक़ीक़त से भी ज़्यादा भारी होता है,
Ajit Kumar "Karn"
मैं बूढ़ा नहीं
मैं बूढ़ा नहीं
Dr. Rajeev Jain
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
बदलती जरूरतें बदलता जीवन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
Loading...