बारिश की झडी
टिप टिप बारिश की झडी -सी लगी हैं
मौसम की एक ये हैं कड़ी
शाख को छुं नवल कर देती
भू की सुगंध नथुनों तक भर देती
रोम रोम को महका देती
मयूरा को भी नृत्य मुद्रा में लाती
पक्षी की चहचहाट से गगन भर देती
सूरज को अपने अक्ष में छिपाती
मेघों की रंगत बदल जाती
टिप टिप बारिश की झडी -सी लग जाती
भौंरा को और मनचला कर देती
कलियों को हैं ये फूल बनती
तरु पर नई कोपले हैं खिलाती
चातक की हैं ये प्यास बुझती
जोड़ियों के मिलान का सब्ब बन जाती
टिप टिप बारिश की झड़ी लग जाती