बारिश का मौसम
बारिश के मौसम में वो पास आते
दिल ओ जिस्म में एक जादू जगाते
फिर नटखट हवाएँ शरारत सी करतीं
कोई लट मेरे नर्म गालों पे ढ़लती
वो हैरां से होते मगर कुछ न कहते
फिर गालों से मेरी हटाते वो लट को
हवाएँ मगर फिर शरारत सी करतीं
वो लट हटाने की कोशिश फिर करते
मंजर ये कितना दिलनशीं सा होता
वो महबूब दिलबर मेरे पास होता
मुहब्बत में यूँ हम खोए से रहते
खुली आँखों से भी सोए से रहते