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2 Jun 2021 · 1 min read

इततु सी बारिश कर दो

माना गलती हुई, कुछ पेड़ ना लगाए हंसी के
मुस्कुरा दो थोड़ा सा ही, पर मुझे माफ़ कर दो
गर्मी कितनी है तेरे प्यार के बिन, जां सूख गई
अजी सुनते हो, जरा प्यार की बारिश कर दो

हर बात पर नफरत की लू क्यों छोड़ देते हो
बदली बन पास आती हु तुम उड़ के चल देते हो
थक गया है मेरा हाथ फिर भी पंखा झलती हु
सुनो ना , जरा प्यार की बारिश कर दो
कितनी माफी मांगती हु हमे माफ कर दो

सर्दी में कहा था कोई भा गया है हमे , ठिठोली की थी
बुरा इतना ना मानो मजाक का, गलती की थी
अब भीग गया है आँचल चलो भी जिद छोड़ो
ऐ जी, सुनो ना इततु सी बारिश कर दो
मैं तुम्हारी थी तुम्हारी हु चलो माफ कर दो

कहे देती हूं यू दिल के दरवाजे से जाना ठीक नही
भले मानस को यू सताना तेरा ठीक नही
पपीहा दादुर मोर और मैं सभी तुझको मनाते है
ओ मेघा काले, सुनो ना जम के बरसात कर दो
भीग जाने दो मुझे, प्यार की बारिश कर दो

2 Likes · 6 Comments · 309 Views
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