बाबू मेरा सोना मेरा शेर है
बाबू मेरा सोना मेरा शेर है ।
सब दोस्त उसका कुबेर है ।।
अच्छा है सब कोई बुरा है नहीं ।
करता इज्ज़त सदा जगहँसाई नहीं ।।
जब आये हो यहाँ तो हड़बड़ाना नहीं,
तुम किसी बात से अब घबराना नहीं ।
किसी के जोड़ से भी ज्यादा, यह बेजोड़ हैं,
ऐसा पैदा हुआ न कोई जिससे कमजोर हैं ।।
कभी गुस्सा कभी हँसी,
हमें तुझपे भी आता है ।
ऐसा लगता है जैसे,
इस जहाँ का तू ही विधाता है ।।
बचपन में ही तुझसे,
तेरी माँ डर गई थी देख तेरे दो नैन।
तुझे हँसते बोलते देखकर,
कुछ देर बाद उसे आया फिर से चैन ।।
उम्र था लगभग तेरा बस दो साल का,
पर करता हमेशा तू काम कमाल का ।
जब भी होता था हमसे तुम नाराज तो,
पापा का झोंटा कहके, उसे खींचकर मचाता था धमाल हो ।।
लगता है मुझको तू सबसे अलग है,
किस्सा है ये तेरे बालपन का ।
ना जाने क्यूँ हमें लगता है ऐसा,
तेरा मेरा रिश्ता है जन्मोजन्म का ।।
कवि :– मनमोहन कृष्ण
तारीख :– 02 / 01 / 2024
समय :– 02 : 37 ( रात्रि )