बाबुल का पैगाम :: बेटी के नाम!!! भाग ०१
!!!!!!!!!!!!!!!+बेटी!!!!!!!!!
बड़े अरमानों से पाला है संस्कारों की पहनाई माला है।
!!!!!!!!!! बेटी !!!!!!!!!!!!
रुखा सुखा मिला खुद खाया है
तुझे मनवांछित खिलाया पहनाया है।
****** बेटी *******
मैं पढ़ न सका तुझे काबिल बनाया है
यौवन की दहलीज पर तूने कदम रखे
मन मेरा घबराया है ।
“””””””””””” बेटी”””””””””
अच्छे घर हो रिश्ता तेरा
रिश्तेदारों में संदेश पहुंचाया है
कठिन खोज परख के बाद एक सुयोग्य वर पाया है।
—– बेटी —-
डोली में तुझे बिठाने का शुभ अवसर आया है
घर परिजन ने मिलकर
तुझे डोली में बिठाया है।
****बेटी****
तुम चली साजन के आंगन
खुशी का आंसू आया है।।
निरंतर —————
*यह कविता का प्रथम भाग है ! स्थान अभाव के कारण
द्वितीय एवं तृतीय भाग बाद में प्रेषित करूंगा !
राजेश व्यास अनुनय