Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
26 May 2023 · 1 min read

बाबुल का घर तू छोड़ चली

(शेर)- जो था अब तक पत्थर दिल, देखो कैसे वह पिघला।
होकर विदा जब उसका लहू , आज जो उससे दूर चला।।
रोता है वह आज बहुत ही, उसकी विदाई करते समय।
जिसमें बसी है जान उसकी, वह जो उसको छोड़ चला।।
——————————————————————-
छोड़ चली तू छोड़ चली।
बाबुल का घर तू लाड़ली।।
सूना हुआ घर बाबुल का।
छोड़ चली जो तू लाड़ली।।
छोड़ चली तू —————–।।

लाड़ लड़ाया तुमको माँ ने बहुत।
प्यार किया है बाबुल ने भी बहुत।
सूना हुआ आंगन बाबुल का।
छोड़ चली जो तू लाड़ली।।
छोड़ चली तू ——————-।।

खेली बहुत तू जिन गलियों में।
झूली झूला तू जिन बागियों में।।
नहीं अब रौनक कुछ भी वहाँ,
छोड़ चली जो तू लाड़ली।।
छोड़ चली तू ——————–।।

रोये माँ की ममता बहुत आज।
रुकते नहीं आँसू बाबुल के आज।।
रोये लिपटकर तुझसे सहेलियां।
छोड़ चली जो तू लाड़ली।।
छोड़ चली तू ——————-।।

तेरे ये खिलौने, तेरी ये गुड़ियां।
इनको देख भर आती है अँखियाँ।।
किसके संग अब ये खेले साथी।
छोड़ चली जो तू लाड़ली।।
छोड़ चली तू ——————-।।

शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)

Language: Hindi
Tag: गीत
278 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
World Earth Day
World Earth Day
Tushar Jagawat
■ मनोरोग का क्या उपचार...?
■ मनोरोग का क्या उपचार...?
*प्रणय प्रभात*
ओम साईं रक्षक शरणम देवा
ओम साईं रक्षक शरणम देवा
Sidhartha Mishra
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लम्बोदराय सकलाय जगद्धितायं।
Shashi Dhar Kumar
"ऐसा मंजर होगा"
पंकज कुमार कर्ण
चंद्रयान-3
चंद्रयान-3
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
"दोस्ती क्या है?"
Pushpraj Anant
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
रमेशराज के विरोधरस के दोहे
कवि रमेशराज
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
मैं खुशियों की शम्मा जलाने चला हूॅं।
सत्य कुमार प्रेमी
"" *प्रेमलता* "" ( *मेरी माँ* )
सुनीलानंद महंत
आभार
आभार
Sanjay ' शून्य'
फितरत
फितरत
Dr.Priya Soni Khare
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
मेरी जाति 'स्वयं ' मेरा धर्म 'मस्त '
सिद्धार्थ गोरखपुरी
गूढ़ बात~
गूढ़ बात~
दिनेश एल० "जैहिंद"
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
सत्य केवल उन लोगो के लिए कड़वा होता है
Ranjeet kumar patre
श्री राम मंदिर
श्री राम मंदिर
Mukesh Kumar Sonkar
*
*"हिंदी"*
Shashi kala vyas
*पत्रिका समीक्षा*
*पत्रिका समीक्षा*
Ravi Prakash
छोटी छोटी चीजें देख कर
छोटी छोटी चीजें देख कर
Dheerja Sharma
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
एक छोटी सी रचना आपसी जेष्ठ श्रेष्ठ बंधुओं के सम्मुख
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
समान आचार संहिता
समान आचार संहिता
Bodhisatva kastooriya
मन की आँखें खोल
मन की आँखें खोल
Kaushal Kumar Pandey आस
सावन
सावन
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
DR ARUN KUMAR SHASTRI
आदमी हैं जी
आदमी हैं जी
Neeraj Agarwal
शब्द
शब्द
लक्ष्मी सिंह
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
चलो प्रिये तुमको मैं संगीत के क्षण ले चलूं....!
singh kunwar sarvendra vikram
3142.*पूर्णिका*
3142.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
अवधी गीत
अवधी गीत
प्रीतम श्रावस्तवी
Loading...