बाबा रे बाबा
बाबा रे बाबा…क्या हो रहा है…संसार का हाल
धर्म की शिक्षा देने वाला ही कर रहा नर संहार
खोल के बड़े बड़े आश्रम, कौन सा देते हैं गुरु ज्ञान
एक दिन फिर वो खुद ही हो रहे हैं यहाँ बदनाम !!
हर बुरी बात का अंत तो खत्म होगा यूं ही
सदमार्ग का रास्ता तो दिखाते नहीं
पर सभी को देते हैं प्रवचन सदा महान
और खुद नहीं करते न चलते,कैसे है महान !!
इस की सारी जड़ होती है, घर की औरत
बड़ी जल्दी विश्वाश करती है यह औरत
सोचती तो है, की गुरूशिक्षा देगा
तो भव सागर तार जाऊंगी
खुद तो सदा यहाँ पर आऊंगी
और अपने जैसो को भी साथ लाऊंगी !!
मूर्खता का पता जब चलता है उनको
बड़ा प्रायश्चित महसूस होता है सबको
शायद किस्मत का फेर है,या कुछ देर है
पर अपनी समझ में,सब बाबा आज फरेब हैं !!
कवि अजीत कुमार तलवार
मेरठ