बाबा भैरण के जनैत छी ?
बाबा भैरण के जनैत छी ?।
बिहार,झारखंड के भागलपुर, मुंगेर, खगड़िया, बांका, जमुई एवं देवघर, गोड्डा, दुमका जैसो जिलामे बाबा भैरण व दुबे बाबा के पूजा-अर्चना कैल जाएत छै । ई लोकदेवता छथि। मुदा हुनकर पूजा करय बला बेसी लोक के ई नहि बुझल छनि जे ओ के छलाह आ कतय के छलाह. कियैक पूजा कयल गेल अछि?
1810 मे एहि क्षेत्र क सर्वेक्षण करबा लेल आयल फ्रांसिस बुकानन हैमिल्टन सेहो हुनका सब क बारे मे चर्चा केलथि। तहियो ई पूजा प्रसिद्ध छल। बाबू रासबिहारी बोस सेहो हुनका बारे मे 1871 मे लिखने छथि।सभ क्षेत्रक अपन-अपन लोकदेवता छथि जिनका ओहि क्षेत्रक लोक अपन निवास स्थानक चारूकात प्रतिष्ठा करैत छथि | हुनका लोकनिक वार्षिक पूजाक लेल सेहो विधान छै। तहिना गर्भू कुमर आ लोरिक सन देवता सेहो छथि। एहिमे सँ गर्भ कुमार कए आइयो यादव जातिक लोक पूजैत छथि।
बुकनन आ बोस दुनू गोटे अपन-अपन समयक लोकसँ गप्प करैत भैरण दुबेक विषयमे लोकप्रिय कथा लिखैत छलाह। दुनूक कथा एकै रंग अछिए ! बात ई अछि जे हुमायूँ जखन दिल्ली सल्तनतक शासक छलाह। तखन मुंगेर पर खेतोरी लोकनिक शासन छलनि। राजा बिरमा एहि खेत सभक मुखिया छलाह। ओ ५२ टा छोट-छोट राज्यक राजा के महाराजाधिराज छलाह।
बिरमा दिनु-दिन संकटसँ घिरल जा रहल छल। एकर समाधान करबाक लेल ओ ज्योतिषी भैरण दुबे केँ बजा लेलक। ओहि समयक राजा लोकनिकेँ ज्योतिष शास्त्रमे बहुत आस्था छलनि। ज्योतिषी लोकनिक स्थान दरबार मे तय छल।बिरमाक व्यवहारसँ लोक जन बड्ड दुखी छल । हुनक ग्रह राशिक स्थिति सही नहि छल । हुनक पड़ोसी राजा लोकनि मोर्चा खोलि देने छलाह | एकर सेनापति आ सेनापति सभ सेहो आक्रोशित छलाह।
भैरों दुबे जखन ज्योतिषीय गणना केलथि तखन पता चलल जे व्यक्तिक के ग्रह-गोचर नीमन जकाँ नहि चलि रहल अछि। ओ राजासँ किछु नुकाएल नहि। बिरमा क्रोधित भऽ कऽ निष्कासन वा भयावह परिणामक चेतावनी देलनि। जखन भैरण घरसँ बाहर छल तँ ओकर घर उजाड़ दैल गेलै। घुरला पर देखला जे घर खंडहर भऽ गेल अछि आ देखला जे ओकर माई कानि रहल अछि। ओ बड्ड तमसा गेलाह। एकटा छूरी उठा कऽ पेटमे घुसा देलक। खूनक धार लगमे महलमे जा कऽ आगि लागा देलक । एकर कारणे राजाक ड्योढ़ी जरि कऽ राख भऽ गेल।
भैरोँक एकटा गाय छल। मृत्युसँ पहिने ओकर दूध पीनै रहै । पेट मे दू टा छुरा लागल छल। पहिलसँ खून बहैत छल आ दोसरसँ दूध बहैत छल । एहिसँ नदीक दूटा धार बनल। स्थानीय लोकक कहब छनि जे अखनो एहि दुनू धारा केँ दू रंग मे देखल जा सकैत अछि।रासबिहारी बोस लिखैत छथि जे हुनकर मृत्युसँ पहिने जतए हुनकर खाट राखल छल , ओतए चारू टांगसँ चारिटा गाछ उगैत छल । ई सब एखनो देखल जा सकैत अछि।
भैरोँक मृत्युक बाद बिरमा डरसँ दौड़ैत रहल । बैजनाथ (देवघर) सँ मन्दर धरि ओ बेहोश भऽ दौड़ैत रहलाह। एक दिन भैरण एकटा शिष्य राजू खवासक भूत तीर पर्वतक चोटी से एगो विशाल पाथर मारि कऽ राजा बिरमा के मारि देलक ! राजा बिरमा आ भैरोणक आवास मुंगेर जिलाक संग्रामपुर प्रखंडक ददरीमे छल। एहि गाम लग जाला गाम अछि। स्वघोषित कलाकार श्री नरेन्द्र पंजियारा जी एहि गामक निवासी छथि। नीचा देल गेल चित्र ददरी के बाबा भैरण स्थान के अछि, जतय एहन पिंड देखल जा सकैत अछि | ई छवि नरेन्द्र जी द्वारा उपलब्ध कराओल गेल अछि।
उपरोक्त जिलामे हजारोगो स्थानमे जतए हिनक पूजा कयल जाइत अछि, ओहि ठाम एहन पिंड अवश्य देखल जा सकैत अछि। नरेन्द्र भाई कहैत छथि जे ददरी मे हुनकर मूल पूजा स्थल पर शुरूए सँ फूसक फूस अछि, जकरा बदलबाक साहस केउन नहि करैत अछि। इतिहासकार आ 1868-71 मे बांकाक एसडीओ रहनिहार रसबिहारी बोस लिखैत छथि जे एहि घटनाक बाद भैरण दुबे केँ लोकदेवताक प्रतिष्ठा भेटि गेलन आ गाम-गाम आम जनमानस हुनकर पूजा करैत छलाह।
एहि घटनाक बाद खेतोरिसक 52 राज्य ध्वस्त भ गेल। बुकानन एहि कुलक वंशावली सेहो देने छथि। कतहु ‘दुबे बाबा’ आ कतहु ‘भैरण बाबा’क नाम पर पूजल जाइत छथि। किछु भाषाविद हिनक नाम ‘भैयहरण बाबा’ राखि देने छथि। हिनका एहि क्षेत्रमे दोसर_शिव के स्थान भेटल छन्हि। ई विषहर मानल जाएत अछि।
#उदय शंकर,बाँका जिला
लेखक इतिहासकार