बाबा फ़क़ीर हमारे
बाबा फ़क़ीर हमारे,
हर लेते पीर सारे,
दुःख झोली में अपनी भरते,
दुआओं से भरते खुशियाँ सारी।
एक फ़क़ीर संसार का,
सूफ़ी गीत सुनता उसका,
कण-कण हृदय प्रेम से भरता,
वाणी वीणा के मृदु गान से।
बाबा फ़क़ीर न लेता कुछ,
बाबा फ़क़ीर न देता कुछ,
फ़क़ीर बना तेरी भक्ति में,
तेरी रहमत से जीता है वहीं।
फ़क़ीर संत की महिमा न्यारी,
सुनता है मालिक की वाणी,
वचन कह जाए बाबा फ़क़ीर,
मालिक बंदे की सुन ले पीर।
एक ही वचन सब ही बाँचे,
बड़े-बड़े हो साधु संत बाबा फ़क़ीर,
करम कर नेक तू बन्दे,
रहमत बरसेगी मालिक की तुझमें।
रचनाकार-
✍🏼✍🏼
बुद्ध प्रकाश,
मौदहा हमीरपुर।