बाबा तेरा इस कदर उठाना …
बाबा तेरा इस कदर दुःख उठाना
मेरे मन को आहत कर गया,
कष्ट सह के भी मुस्काते जाना,
मन को चाहत ही चाहत से भर गया
बाबा तेरा इस कदर दुःख उठाना
मेरे मन को आहत कर गया…
इस निष्ठुर कुटिल जहां में,
तुम बन के मसीहा आये,
शिक्षित होकर शिक्षा के,
कितने ही सुमन खिलाये,
तेरा खुद कांटों पर चलकर,
जग में खुशबू फैलाना,
मेरे मन को आहत कर गया…
तुम दीन दुखी दलितों के,
प्राणों में बसते हो,
अज्ञान अशिक्षा में भी,
बन ज्ञान-पुंज रहते हो,
तेरा खुद दीपक सा जलकर,
जग को रोशन कर जाना
मेरे मन को आहत कर गया…
सारा जीवन बिताया,
तुमने सबके लिए,
कभी कुछ न रखा,
तुमने अपने लिए,
पर सबका ही,
तुम्हें भूल जाना,
मेरे मन को आहत कर गया…
-✍️ सुनील सुमन