बाबा के गाम मे
बाबा के गाम मे
बाबा के गाम, तोय देखलौं कहिया?
जत’ खेत आ पथार कहियो सोन रहै ,
आब ओहि धूर-माटिमे जकड़ल बाट,
सपना बनिकए’ कहिया से बिसरल छल।
गाछ-पाछ पर जहिया गाबैत रहै ,
पाखीक मोन मोनमे नव गीत रहै,
आब पथारमे तँ तोय खामोश रहै ,
बाबा के गाममे की आबो ऊ बात रहै ?
खेत-पथार बंजर जकाँ सूखि रहल,
नहर-नदीक धार बिला गेल जकाँ,
जनमिथक पग पर चुप्पे हे लोक,
बाबा के उज्जर सपना भ’ गेल धुआँ।
चउबट्टी पर ओ बूढ़ बाबा बैसल,
समयक हाथ देखै, किछु नै बजै,
बाबा के गाममे ओ दिन कहिया ?
जत’ धिया-पुता फेर हँसि-खेलि ।
नव रस्ता, नव सोच ले अबै के’ करेज,
बाबा के माटि फेर सँ उगाहे,
आ गामक सोनल सप्पन फेर बना,
बाबा के गाममे नव भोर अना।
—-श्रीहर्ष—-