बाबा का ढ़ाबा
कल तक तो नहीं था यहाँ पर,
फिर आज कहाँ से आ गया ।
इतना सुंदर ढ़ाबा,
वाह क्या बात है बाबा ।।
परिश्रम से जल्दी कुछ होता नहीं है,
मगर अचानक ही कुछ हो जाता है ।
जैसे कोई महान तो अचानक बनता नहीं है,
लेकिन चमत्कार और दुर्घटना अचानक हो जाता है ।।
नसीब वालों के जीवन में,
अक्सर होता है चमत्कार ।
और जिसका नसीब यहाँ ठीक नहीं,
उसका होता है बलात्कार ।।
यहाँ सब प्रभु की माया है,
किसी का जीवन धूप यहाँ पे,
तो किसी का जीवन छाया है ।
कोई आँधी तूफान से लड़ता है,
तो कोई प्रकाश से जगमगाया है ।।
जितना सुंदर नसीब तेरा,
उतना ही सुंदर बना है ढ़ाबा ।
बुद्धि से काम करना तुम,
परिश्रम करना छोड़ना मत,
नहीं तो फिर से पछताना पड़ेगा बाबा ।।
कवि – मनमोहन कृष्ण
तारीख – 05/06/2023
समय – 08 : 57 ( सुबह )