सिंहपर्णी का फूल
singh kunwar sarvendra vikram
हमने दीवारों को शीशे में हिलते देखा है
वो शिकायत भी मुझसे करता है
* दिल के दायरे मे तस्वीर बना दो तुम *
मुस्कराते हुए गुजरी वो शामे।
I guess afterall, we don't search for people who are exactly
#हा ! प्राणसखा . . . . . !
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
शर्मशार इंसानियत और मणिपुर