“बापू” तेरे देश मैं
बापू तेरे देश में
बढ़ रहा है अनाचार दुराचार,
हिंसा बापू तेरे देश में।
आज जरूरत है बापू तुम्हारी,
आ जाओ किसी भी भेष में।।
तीनों बंदरो का तुम्हारे,
काम नहीं आ रहा संदेश।
क्या हो रहा हैं यह सोचकर,
मन को पहुंची ठेस।।
बुरा मत देखो बुरा मत बोलो बुरा मत सुनो यह सूत्र बेकार हो गया।
बुरा करने लगे बुरा बोलने लगे लोग
कुप्रवृत्तियों से जैसे इनका सरोकार हो गया।।
राम राज्य का सपना,
सपना ही रह जाएगा।
स्वच्छ धरती स्वस्थ आत्मा,
सत्य अहिंसा जो नहीं अपनाएगा।।
कहे पा”रस” सोने की चिड़िया वाले देश का, विकास तभी संभव हो पाऐगा, सत्य कर्तव्यनिष्ठा से हर कोई अपना कर्तव्य निभाएगा।।