बापू के नाम कुछ शिकायती पत्र
माना की तुम्हारे जीवन का मूल मंत्र ,
सादा जीवन उच्च विचार था ।
अपने उच्च महान आदर्शों और सिद्धांतों से ,
तुम्हें बहुत प्यार और विश्वास था ।
इसीलिए तुम महात्मा कहलाए ।
हिंदू और मुस्लिम तुम्हारी दो आंखें थी ,
इसी कारण तुम देश का बंटवारा नहीं चाहते थे ।
तुम्हारी नज़र में सब तुम्हारी संतान थे ,
इसीलिए तुम राष्ट्र पिता कहलाए ।
तुमने दलितों ,अस्पृश्य जातियों का उद्धार किया,
तुमने उनके लिए मैला ढोने की प्रथा को बंद करवाया।
उनको समाज में सम्मान से जीने का अधिकार,
दिलवाया,इसीलिए तुम बापू कहलाए ।
परंतु इन सबके बावजूद तुमने अपने जीवन में,
बहुत त्रुटियां की ,जिसका मलाल रहा तुम्हें ।
पहला यह की तुमने अपने अमर शहीद ३ रत्नों ,
को बचाने हेतु कोशिश नहीं की ,ये ख्याल था तुम्हें?
इसीलिए तुम्हारे हाथ भी उनके खून से रंगे गए।
तुमने हमारे देश को सम्पूर्ण हिन्दू राष्ट्र ना बनने दिया,
पाकिस्तान जिसतरह मुस्लिम प्रधान राष्ट्र बना।
तुमने भारत को हिंदुस्तान और इंडिया बना दिया,
जो कभी प्राचीन युगों से ऋषि मुनियों का आर्यव्रत था बना।इसी वजह से तुम नायक से खलनायक बन गए ।
आखिर क्यों गोडसे को तुम्हारे खून से हाथ रंगने पड़े,
क्यों वोह एक अदद इंसान से शैतान बन बैठा।
कुछ गीले शिकवे थे उसमें जो शत्रुता में बदल गए।
और तुम उसकी नजर में एक दीवार बन गए ।
तुमने ऐसा क्यों और कैसे कर दिया यह बापू ?
आखिर क्या था तुम्हारे सुप्त अंतर्मन में,?
जिसका खामियाजा अब भी भुगत रहा है देश ,
जिसकी वजह से पीड़ा होती है हमारे मन में।
यदि तुम उन शहीदों का जीवन बचा लेते ,
जवानी की मौत वो कभी न मरते।
उन मासूमों की अटूट देशभक्ति ने क्यों तुम्हें द्रवित न किया ,ना उनके बेसहारा माता पिता पर रहम आया।
और यदि तुम राष्ट्र को आर्यव्रत ही बने रहने देते ,
तो तुम वास्तव में महापुरुष कहलाते ।