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27 Feb 2017 · 1 min read

बादल_____ गगन

बादल – गगन
मुक्त सृजन.
मनभावन.
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सागर सी गहराई दिल में
चाहत उतनी बसी है दिल में
छू लूँ गगन ये दिल मेरा चाहे.
रोको न यू अब तुम मेरी राहे.
मन तो पंछी बन उड़ जाये.
ये जग न अब मन को भाये .
प्यार भरा संसार मिला है.
न अब तुमसे कोई गिला है.
ख्वाब सजा पलको पे बिठा लो
सपना बना नैनो में सजा लो.
बादल बरखा बन बरसूँगी.
तुझ से इतना प्यार करूँगी.
छू के बदन योवन है निखरा.
अब न मिलन को तू यू तरसा.
भुला दिया है उन गलियो को.
छोड के आई संग सखियो को.
प्रीत में तेरी रंग ली चुनरिया.
आ गई मैं तो प्रेम नगरिया.

संगीता शर्मा.
26/2/2017

Language: Hindi
599 Views
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