बादल
बादलों का नृप है अंबर ।
डरता रहता बादल अक्सर ।
पर कभी पवन के सहारे ।
बिना पूछे नभ से बिना ही विचारे
यूं ही मौज मस्ती में पंख पसारे।
पहुंचता है बादल सागर किनारे
लाता है यह नीर भरक।र डरता रहता बादल अक्सर ।
मगर बादलों ने पाया धोखा।
चलती हवा ने आते ही मौका ।
उन्हें पथ में रोका।
और जी भर रुलाया ।
जाना कहां था उन्हें यह भुलाया ।उधर राह तक हारा बेचैन अंबर ।
डरता रहता बादल अक्सर ।
बादल मजबूर होकर।
अपने घर से वह दूर होकर ।
क्यों मैं चला था मगरूर हो कर ।
रेखा परेशान होता है इंसान अक्सर ।
जब छोड़ देता है अपना वह घर