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16 Mar 2019 · 1 min read

बादल

बाल कविता (बादल)

बादल दादा आओ आओ
पानी तुम बरसा कर जाओ

रूप तुम्हारा सबसे न्यारा
हम सबको लगता है प्यारा

रंग बदल कर तुम डरपाओ
बादल दादा आओ आओ

सूरज के संग आंख मिचौली
और करते हो हंसी ठिठोली

गर्मी को ठंडा कर जाओ
बादल दादा आओ आओ

रुई के जैसे तुम लगते हो
हर दम ही चलते रहते हो

कभी तो रुक करके दिखलाओ
बादल दादा आओ आओ

तुम जो गर धरती पर होते
संग संग हम भी हंसते रोते

जोर जोर से ढोल बजाओ
बादल दादा आओ आओ

नरेन्द्र मगन, कासगंज
9411999468

Language: Hindi
384 Views
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