बादल
झूम झूम जब छाते बादल
जल कितना बरसाते बादल
हो जाता है तन मन हर्षित
घर घर खुशियाँ लाते बादल
आसमान में उड़ते जाते
मन को खूब लुभाते बादल
मस्त मगन हैं संग पवन के
क्या क्या रूप दिखाते बादल
वृक्ष वनों में शोर मचाते
उनको गले लगाते बादल
ओजोन परत छेदी मानव ने
इसीलिए फट जाते बादल
रुष्ट हुई है प्यासी धरती
आकर उसे मनाते बादल
सूरज डर कर छुप जाता है
उसको खूब डराते बादल
नाच रहे हैं मोर वनों में
मधुरिम गीत सुनाते बादल
सरल प्रेम की बूंदे भरकर
हम पर खूब गिराते बादल