बादल
आओ बादल आओ बादल।
आकर नभ में छाओ बादल।
प्यासी धरती तुझे पुकारे,
छम-छम जल बरसाओ बादल।
जीव-जन्तु सब तड़प रहें हैं
सबकी प्यास बुझाओ बादल।
ताल तलैया सूख रहें हैं,
उसमें जल भर जाओ बादल।
ठूंठ बने हैं तरुवर तुम बिन,
हरियाली फैलाओ बादल।
तड़-तड़-तड़-तड़ तड़क-तड़क कर,
जमकर ढोल बजाओ बादल।
सावन के पावन मौसम में,
गीत खुशी के गाओ बादल।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली