बादल

मैं बादल ,जीवन मेरा क्षण का
वो अमर प्रतापी राजा है
भरता अहंग से जो
ढकता उसको ऐसी मेरी काया है
आंख दिखलाए कोई यहां
ऐसी नहीं मेरी छाया है
मिट जाऊं मैं यहां
दासता नही मुझ में आई है
जीवन है जब तक मेरा
संघर्ष मेरा साथी है
मैं रहूं या जाऊं फर्क नहीं
मैंने अस्तित्व अपनी बनाई है
याद करोगे दूर्दिन को
हौसला मैंने पाई है
देता रहा चुनौती जीवन भर
एक हठ मैंने दिखलाई है
स्वीकार करो अस्तित्व मेरा
हममे ना में कोई परछाई है
तू लाख बरस जिओ सही
मैंने क्षणभंगुर जीवन पाई है
#शंकर_सुमन