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10 Jan 2021 · 1 min read

बादल

मैं तो बादल हूं
बरसता हूं तो
भिगो देता हूं
ना भी बरसुं
तो छाया देता हूं
सफेद काले रंगो में
नीले नभ में
स्वछंद विचरण
करता हूं
जितना ऊपर जाता हूं
उतना ही पानी से
भरता जाता हूं
बारिश बर्फ के रूप में
धरती पर जब
गिरता हूं
बीज अंकुरित कर
नव जीवन देता हूं
खेतों में गिर कर
अन्नदाता की फसलों
को लहलहाता हूं
नदियों के यौवन को
महकाता हूं
पहाड़ों पर सफेद
बर्फ की चादर
बिछाता हूं
प्रेमियों को तड़पता हूं
प्यास मिलन की
जगाता हूं
एक जगह मैं न
ठहर पाता हूं
अंत में बारिश
बनकर खुद को
मिटा जाता हूं।।

Language: Hindi
10 Likes · 1 Comment · 449 Views
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