*बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)*
बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए (गीत)
_________________________
बादल चाहे जितना बरसो ,लेकिन बाढ़ न आए
(1)
गॉंव-शहर की भरी नालियॉं, कीचड़ सड़कों पर है
जगह-जगह हैं गड्ढे गहरे, फिसलन का ही डर है
दृश्य टपकती छत का घर में, फिर इस बार न आए
(2)
ढेर गंदगी वर्षा ऋतु से, पहले सब हटवाना
रिमझिम-रिमझिम बरस नर्तकी, जैसे फिर
तुम आना
साफ-सफाई हो यदि तो, बारिश उपहार कहाए
(3)
धरती पर टप-टप बूँदों का, पड़ना जैसे सरगम
कलाकार का हुनर प्रशंसा, जितनी भी हो वह कम
हौले-हौले जैसे मॉं, बच्चे से लाड़-लड़ाए
बादल चाहे जितना बरसो, लेकिन बाढ़ न आए
………………………………………….
रचयिताः रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा , रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451