बादल चन्दा
बादल चन्दा तितली फूल समीर नहीं
तुमसे सुन्दर दुनिया की तस्वीर नहीं
जग जीता वह जिसने इसको जीत लिया
दिल से बढ़कर कोई भी जागीर नहीं
धरती से अम्बर तक हमने देख लिया
माँ के जैसा कोई पीर-फकीर नहीं
भारत के कण-कण में राम समाहित हैं
मनगढ़न्त हैं रघुकुल के रघुवीर नहीं
कैसे भूलें राजमुकुट है भारत का
कुछ भी कर लो बाँटेंगे कश्मीर नहीं
जाओ जा कर छिप जाओ फिर गोकुल में
कान्हा तुमसे बढ़ती है अब चीर नहीं
कविता में कैसे संसार ‘असीम’ भरूँ
मैं तुलसी रसखान व सूर कबीर नहीं
© शैलेन्द्र ‘असीम’