बादल कारे कारे है ।
बादल कारे कारे है
रंग बिरंगे सारे है
पल पल अपना रूप बदलते
कितने रंग निराले है
हम बच्चों की खुशियाँ आयी
पानी में नाव उतारे है ।
टप टप बूँदे गिरी छतों पर
रिमझिम ये बौछारे है ।
चमक रही बिजली जोरो से
डर के मारे काँपे है
क्या टक्कर हो गई मेघो में
जो तलवार निकाले हैं ।
इंद्र धनुष क्या खूब बन रहा
पर बादल कारे कारे है ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्र विप्र
नरई चौराहा संग्रामगढ
प्रतापगढ 9198989831