Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
30 Aug 2023 · 1 min read

इतवार का दिन

बादलों से झांकती
सूरज की मुस्कान
मध्यम शीतल वायु
खगों का गुंजित जयगान
सोई कलियों की
खुलती आंखें
नरम नरम दूब पर
ओस की पसरी बाहें
हरी-हरी पत्तियों की
चौका बर्तन की तैयारी
मंदिर के फूलवारी में
तितलियां ढेर सारी
हंसते आंगन में
बाल कोलाहल
नीम की डालियों का
चंचल कौतूहल
दालान के छाए में
बैठी चारपाई
चारपाई के ऊपर लेटी
ताजी-बासी ख़बरें
चश्में की आंच पर
बिखरी बूढ़ी नज़रें
पास में बैठी
चावल बिनती मलिकाइन
रसोई में चूल्हे पर
चढ़ी नकचड़ी कड़ाही
कड़ाही में अदब से
उछलती पकौड़ियां
आज देर से उठे है
घर के कामगार बाबू
इस भागमभाग दौर में
फुर्सत भरा फुहार का दिन
लो फिर आया है
इतवार का दिनl

काव्यश l

Tag: Poem
165 Views

You may also like these posts

अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
अतुल वरदान है हिंदी, सकल सम्मान है हिंदी।
Neelam Sharma
वसंत पंचमी का दिवस विशेष
वसंत पंचमी का दिवस विशेष
Sudhir srivastava
कोई और ठिकाना न मिलेगा
कोई और ठिकाना न मिलेगा
Jyoti Roshni
बेटी
बेटी
अनुराग दीक्षित
नए दौर का भारत
नए दौर का भारत
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सत्य की खोज........एक संन्यासी
सत्य की खोज........एक संन्यासी
Neeraj Agarwal
सख्त लगता है
सख्त लगता है
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
फीका त्योहार !
फीका त्योहार !
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
मंत्र: वंदे वंछितालाभाय चंद्रार्धकृत शेखराम् । वृषारूढाम् शू
Harminder Kaur
*कलियुगी मंथरा और परिवार*
*कलियुगी मंथरा और परिवार*
Sanjay ' शून्य'
*पहले वाले  मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
*पहले वाले मन में हैँ ख़्यालात नहीं*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
ऐसे तो दूर नहीं होगी यह मुश्किल
gurudeenverma198
"बच सकें तो"
Dr. Kishan tandon kranti
इश्क
इश्क
Neeraj Mishra " नीर "
What is FAMILY?
What is FAMILY?
पूर्वार्थ
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
हमेशा गिरगिट माहौल देखकर रंग बदलता है
शेखर सिंह
शहनाई की सिसकियां
शहनाई की सिसकियां
Shekhar Chandra Mitra
खूब निभाना दुश्मनी,
खूब निभाना दुश्मनी,
sushil sarna
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
हम बेखबर थे मुखालिफ फोज से,
Umender kumar
- वह मूल्यवान धन -
- वह मूल्यवान धन -
Raju Gajbhiye
जागे हैं देर तक
जागे हैं देर तक
Sampada
"अनैतिक कृत्य" की ज़िम्मेदारी "नैतिक" कैसे हो सकती है प्रधान
*प्रणय*
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
दर परत दर रिश्तों में घुलती कड़वाहट
Mamta Rani
प्रेम-सुधा की प्यास लिए यह
प्रेम-सुधा की प्यास लिए यह
Dr. Sunita Singh
मन मूरख बहुत सतावै, पल भर चैन न पावै
मन मूरख बहुत सतावै, पल भर चैन न पावै
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
मां वह अहसास
मां वह अहसास
Seema gupta,Alwar
बेवफाई
बेवफाई
एकांत
रुकना नहीं चाहता कोई
रुकना नहीं चाहता कोई
Shriyansh Gupta
"मिजाज़-ए-ओश"
ओसमणी साहू 'ओश'
पापा आपकी बहुत याद आती है
पापा आपकी बहुत याद आती है
Kuldeep mishra (KD)
Loading...