इतवार का दिन
बादलों से झांकती
सूरज की मुस्कान
मध्यम शीतल वायु
खगों का गुंजित जयगान
सोई कलियों की
खुलती आंखें
नरम नरम दूब पर
ओस की पसरी बाहें
हरी-हरी पत्तियों की
चौका बर्तन की तैयारी
मंदिर के फूलवारी में
तितलियां ढेर सारी
हंसते आंगन में
बाल कोलाहल
नीम की डालियों का
चंचल कौतूहल
दालान के छाए में
बैठी चारपाई
चारपाई के ऊपर लेटी
ताजी-बासी ख़बरें
चश्में की आंच पर
बिखरी बूढ़ी नज़रें
पास में बैठी
चावल बिनती मलिकाइन
रसोई में चूल्हे पर
चढ़ी नकचड़ी कड़ाही
कड़ाही में अदब से
उछलती पकौड़ियां
आज देर से उठे है
घर के कामगार बाबू
इस भागमभाग दौर में
फुर्सत भरा फुहार का दिन
लो फिर आया है
इतवार का दिनl
काव्यश l